बाल यौन उत्पीड़न और महिला यौन उत्पीड़न की जागरूकता के लिए कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

 

Organization of workshop and training program for awareness of child sexual harassment and female sexual harassment.

देहरादून, सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी ने महिला और बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मियों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बाल यौन उत्पीड़न और महिला यौन उत्पीड़न के विषय पर कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यशाला में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि देश में हर घंटे 51 महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाएं हो रही है और इतने ही समय में तीन लोगों की हत्या हो जाती है। ये डरावने आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में सामने आये हैं।
वहीं बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिनमे बाल यौन उत्पीड़न के मामले अघिक हैं और उत्तराखंड राज्य में बाल यौन शोषण के मामले 52 प्रतिशत बढ़े हैं, जो कि एक गम्भीर विषय है। नाबालिगों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले एक साल में 19.52 प्रतिशत बढ़ गये हैं। नाबालिगों से यौन उत्पीड़न के 93. 35 प्रतिशत मामलों में आरोपी उनके परिचित होते हैं और सिर्फ 6.65 प्रतिशत मामलों में आरोपी अज्ञात होते हैं।
उत्तराखंड में भी महिलाओं के प्रति हिंसा बढ़ रही है। यहाँ यौन उत्पीड़न, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और जानमाल सुरक्षा के मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा दबाव में या धमका कर मानसिक उत्पीड़न के मामलों में भी बढ़त हुई है। बीते एक साल में मानसिक उत्पीड़न के 520 से अधिक मामले राज्य महिला आयोग मे आये हैं। कार्यक्षेत्र में भी महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और मानसिक उत्पीड़न के कई मामले सामने आते हैं।
डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि प्रत्येक दो में से एक महिला ने कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि जागरुकता और सतर्कता ही इसके बचाव का मुख्य साधन है। डॉ. पवन शर्मा ने मनोवैज्ञानिक पहलुओं को सामने रखते हुए कई महत्वपूर्ण बातें साझा की और अभिभावकों को बच्चों के साथ अधिक समय बिताने और बेहतर संवाद करने की राय दी। डिजिटल समय कम करके सामाजिक समय बढ़ा कर ऐसे ख़तरों से बचा जा सकता है।
इस कार्यशाला ने रिलेशनशिप और पेरेंटिंग विशेषज्ञ भूमिका भट्ट शर्मा ने भी कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि आधुनिक अभिभावकों के पास बच्चों की जिम्मेदारी में अपना समय खत्म सा होता महसूस होता है और वे अपने लिए समय पाने के लिए बच्चों और रिश्तों को समय नहीं दे पाते जिससे रिश्तों और संबन्धों का कमजोर होना स्वाभाविक है। फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी कार्यक्षेत्र में महिलाओं के यौन उत्पीड़न से बचाव और इससे संबंधित पॉश ऐक्ट 2013 की जागरुकता के लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण आयोजित करती है। ऐसे मामलों में पीड़ितों को निःशुल्क परामर्श, थेरेपी और कानूनी मदद की सुविधा भी उपलब्ध कराती है।