पर्यावरण संरक्षण पर्यटन एवं विकास मेला नंदासैंण का रंगारंग समापन्न,

पर्यावरण संरक्षण पर्यटन एवं विकास मेला नंदासैंण का रंगारंग समापन्न, रियर एडमिरल ओ.पी. राणा समेत तीन शिक्षको को मिला शिक्षा ज्योति सम्मान

देहरादूनःपर्यावरण संरक्षण पर्यटन एवं विकास मेला नंदासैंण का रंगारंग समापन्न हो गया है। मेले में मैती संस्था द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में गुणवक्ता,अभिनव प्रयोग,शोध व स्कूली बच्चों को पाठ्यतर क्रिया कलापों में सम्मिलित करने वाले शिक्षकों को स्व.त्रिलोक सिंह रावत पूर्व व्लाक प्रमुख कर्णप्रयाग शिक्षा ज्योति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जिनमें डॉ. सुधीर सिंह एसोसिऐट प्रोफेसर राजनीती विज्ञान राजकीय महाविद्यालय नंदासैण,विकास कोठियाल सहायक अध्यापक विज्ञान राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बैनोली,त्रिलोक सिंह खत्री प्रभारी प्रधानाध्यापक राजकीय जूनियर हाईस्कूल बैणीतल्ली गैरसैंण के अलावा रियर एडमिरल ओम प्रकाश राणा प्रमुख रहे।
में राज्यमंत्री रमेश गड़िया को मेला अध्यक्ष विनोद नेगी,सचिव विनोद सिंह भण्डारी व सदस्य गणों द्वारा सम्मानित किया गया। वही पर्यावरण बैज्ञानिक विभागाध्यक्ष पर्यावरण विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के प्रोफेसर राकेश मैखुरी को नंदा देवी राजजात यात्रा के सचिव भुवन नौटियाल द्वारा लौह पुरूष देवराम नौटियाल स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि रियर एडमिरल ओम प्रकाश राणा ने बताया कि,इस मेले में स्थानीय उत्पाद,कारीगरों के हुनर के साथ साथ नया परिवर्तन देखने को मिला । मेले में स्थानीय महिलाओं व बच्चों की भागीदारी से बहुत खुशी हुई है। इस अवसर पर शिक्षा,खेल व उत्कृठ सामाजिक कार्यो में योगदान करने वाले विशिष्ठ जनों को सम्मानित किया गया
उन्होंने कहा कि,पद्मश्री कल्याण सिंह रावत के सानिध्य में उनके पैत्रिक गांव बैनोली तथा आस-पास के गांव नौटी,नैणी,ईडा बधाणी आदि गांवों का भ्रमण किया। यहां के प्राकृतिक सुन्दरता,पर्यावरण प्रबंधन,पर्यटन स्थल,पुरानी एतिहासिक गुफा,शैलेश्वर शिव मंदिर,मां नंदा मंदिर,लाटू देवता स्थल,पित्र वन,चॉदपुर गढ़ी,सघन बांज के जंगल आदि को देख बहुत प्रसंन्नता हुई।
आपको बता दें कि, पर्यावरण संरक्षण पर्यटन एवं विकास मेला मैती आन्दोलन के जनक पदम्श्री कल्याण सिंह रावत द्वारा के द्वारा 1999 उत्तराखंड के शहीदों की याद में पर्यावरण मेला के नाम से शुरू किया गया था। बाद में इस मेले की लोकप्रियता को देखते हुए क्षेत्र वायियों ने इसे राज्य स्थापना 9 नवम्बर से शुरू करने का निर्णय लिया जो हर साल हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाने लगा है। मेले की से पूर्व पर्यावरण जागरूकता रैली के साथ साथ वृक्षारोपण किया जाता है। इस मेले में चमोली जनपद के गैरसैंण,चॉदपूर पट्टी के लगभग 32 गॉव सम्मिलित होते है। 1987 में यहां के वन पंचायत में वन विभाग के द्वारा बांज के पेड़ों के साथ चीड़ के वृक्षों का रोपण किया जा रहा था जिसका आस पास 10 गांव के ग्रामीणों ने विरोध किया साथ ही बॉज के जंगल को बचाने के लिए एक बड़ा आन्दोलन भी किया गया था। जिसे चीड़ उखाड़ो बांॅज लगाओं से जाना गया। अब हर साल 9 नवंम्बर से 12 नवंम्बर तक आयोजित होने वाले इस मेले में स्थानीय उत्पादों समेत विभिन्न स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा अनेक विभागों द्वारा विभिन्न प्रकार के स्टॉल भी लगाये जाते है। जिससे स्थानीय लोगों को अपने घरेलू उत्पादों को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध होता है। और उनकी आर्थिकी मजबूत होती है।
कार्यक्रम के समापन्न दिवस के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी चमोली डॉ, राजेश शर्मा पद्मश्री कल्याण सिंह रावत मैती,प्रो.आर.के,मैखुरी,राज्य मंत्री रमेश गडिया,भाजपा नेता भुवन नौटियाल,मेला के पदाधिकारी गण व सदस्य समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
भानु प्रकाश नेगी,हिमवंत प्रदेश न्यूज देहरादून