Due to the fear of elections, it is natural for those who follow Sanatan protest policy to be afraid of Lord Ram. Mahendra Bhatt
सनातन विरोध नीति वालों के मन में चुनाव के डर से प्रभु राम का खौफ लाजिमी: भट्ट
देहरादून । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने हरीश रावत के श्री राम स्वप्न पर कटाक्ष किया कि सनातन विरोध नीति पर चलने वालों के मन में चुनाव के डर से प्रभु राम का खौफ होना लाजिमी है, उन्हे तो अयोध्या की यात्रा पर निकलना चाहिए । साथ ही इस मुद्दे पर माहरा के प्राण प्रतिष्ठा में नही जाने के बयान पर निशाना साधा कि जिनकी पार्टी में मंदिर जाने के लिए भी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं आलाकमान से अनुमति लेनी पड़ती है, उनको तो वहां नही जाने का बहाना चाहिए ।
पार्टी मुख्यालय में हरदा के सपने में श्री राम आने के सवाल पर पत्रकारों को जवाब देते हुए भट्ट ने कहा कि हमेशा प्रभु श्री राम और सनातन विरोधी नीति अपनाने वाली कांग्रेस के नेताओं को चुनावों में हार का भय है । यही वजह है कि एक बार फिर वे सुविधावादी हिंदू बन रहे हैं और भय के चलते उनको स्वप्न में प्रभु श्री राम दिखाई दे रहे हैं । उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बेहतर है कि हरदा अयोध्या की यात्रा पर वाया हरिद्वार निकले, क्योंकि जनता ने तो उन्हे और कांग्रेस को राजनैतिक सन्यास दिलाने का मन बनाया हुआ है ।
मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में नही जाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष माहरा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस में श्री राम मंदिर को लेकर क्या सोच है वह उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे के उस अनुमति बयान से स्पष्ट होता है । जिसमे उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सभी लोगों को मंदिर आने जाने की अनुमति है । सभी जानते हैं कि अयोध्या में प्रभु श्री राम के विराजने की खबर से देश में उत्साह और उमंग है । बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना के महापर्व पर खुशी मनाना चाहते हैं, लेकिन किसी की हिम्मत नही कि अपने नेतृत्व की सनातन विरोधी नीति का विरोध करे । यह तो 140 करोड़ देशवासियों का नैतिक दबाव है कि उनके अध्यक्ष को सार्वजनिक रूप से धर्म कर्म की अनुमति देनी पड़ी । हालांकि स्वयं अपने या सोनिया गांधी एवं अधीर रंजन के प्राण प्रतिष्ठा में जाने का खुलासा करने की हिम्मत नही जुटा पाए ।
उन्होंने माहरा के नही जाने पर तंज कसते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि भगवान के दर्शन करने के लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं होती । लेकिन नहीं जाने के लिए बहाने की जरूरत पड़ती है, जैसे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को पड़ी है । देवभूमि में रहते हुए जिनकी जुबान कभी श्री राम और सनातन विरोधी अपने नेताओं एवं सहयोगी दलों के बयानों के खिलाफ नहीं खुली, जिन्होंने प्रभु श्री राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था, जिनके बड़े बड़े नेता वकील बनकर राम मंदिर के विरोध में ताउम्र अदालतों में खड़े रहे, जिन्हे देवभूमि की डेमोग्राफी बदलने की साजिशों का साथ दिया, अवैध धार्मिक अतिक्रमण को सही ठहराया उनसे अल्पसंख्यक वोट बैंक की नाराजगी के डर से सनातन के कार्यों में नही जाने की ही अपेक्षा की जा सकती है