For nation building, not only healthy and educated men are needed but also healthy and educated women.
सेवा सोसाइटी द्वारा सशक्त नारी सम्मान 2024 का आयोजन किया गया।
देहरादून! सेवा (सोसाइटी फॉर हेल्थ, एजुकेशन एंड वुमेन एंपावरमेंट) के तत्वाधान में संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मेटरनिटी सेंटर, देहरादून, उत्तराखंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में सशक्त नारी सम्मान 2024 का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुसुम कंडवाल, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग, उत्तराखण्ड, विशिष्ट अतिथि नेहा जोशी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजयुमो, देहरादून, डॉ. बिप्रा विष्णु, चिकित्सा सलाहकार, राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन परियोजना, विश्व स्वास्थ संगठन, कार्यक्रम की अध्यक्षा, डॉ. सुधारानी पांडे, पूर्व कुलपति, डॉ. बी. के. एस. संजय, पद्मश्री से सम्मानित, वरिष्ठ ऑर्थोपीडिक सर्जन, डॉ. सुजाता संजय, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा, डॉ. गौरव संजय, ऑर्थोपीडिक सर्जन, भावना संजय एवं डाॅ. प्रतीक संजय द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि महिलाएं समाज का दूसरा हिस्सा हैं और एक बार जब वे शिक्षित हो जाती हैं, तो वे परिवार, समाज और राष्ट्र के साथ-साथ अपने समकक्षों के साथ समान रूप से योगदान करती हैं। महिला शिक्षा न केवल उन्हें एक बेहतर नागरिक के रूप में बदलती है बल्कि उनका परिवार, समाज और अंततः राष्ट्र एवं आने वाली पीढ़ी के लिए भी दूरगामी परिणाम देता है। मेरे विचार में, एक स्वस्थ और शिक्षित व्यक्ति न केवल अपना काम कर सकता है बल्कि दूसरों के काम भी कर सकता है जैसा कि हम सभी भी कर रहे हैं। मैं उन्हें दबंग या HE Men कहता हूं। ऑक्सफोर्ड लैंग्वेज डिक्शनरी के अनुसार दबंग का मतलब होता है, जो किसी से दबे नहीं, निडर या प्रभावशाली दूसरे शब्दों में जो आत्मविश्वास से भरा हो।
मेरे अनुसार, HE का मतलब यदि मैं विस्तार से बताऊं तो H का मतलब health यानि स्वास्थ और E का मतलब Educated यानि शिक्षित है। मेरी राय में, हमारे देश को राष्ट्र निर्माण के लिए केवल दबंग पुरुषों यानि HE Men की ही नहीं बल्कि दबंग महिलाओं यानि HE Women की भी आवश्यकता है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुसुम कंडवाल ने कहा कि आपको जो भी जिम्मेदारी मिले उसे इमानदारी से पूरा करना चाहिए। महिलाओं को सबसे पहले अपने परिवार का ध्यान रखना चाहिए। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती नेहा जोशी ने कहा कि महिलाओं की जो इच्छाऐं हैं उन्हें पूरी करने के लिए कम से कम महिलाओं को तो उनका साथ देना ही चाहिए।
कार्यक्रम की दूसरी विशिष्ट अतिथि डॉक्टर विप्र विष्णु ने कहा कि टीवी लाइलाज नहीं है इसका इलाज किया जा सकता है। अक्सर माना जाता है कि पहाड़ों में टीबी की बीमारी नहीं होती है परंतु ऐसा मानना गलत है। आचार्या डाॅ. अन्नपूर्णा ने कहा कि महिलाओं का सशक्तीकरण हमारे देश में तो वैदिक काल से ही चल रहा है। डाॅली डबराल ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति और उन्नयन में नारी की भूमिका अग्रणी है। भारतीय नारी विश्व में अद्वितीय है क्योंकि इनमें सभी भाव समाहित होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षा डॉ. सुधारानी पांडे ने कहा कि किसी भी परिवार के बनाने में जितना महत्तव मां का है उतना किसी का नहीं।
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा डाॅ. सुजाता संजय ने कहा कि आज के परिदृश्य में महिलाओं की बहुत सी जिम्मेदारियां हैं लेकिन महिलाओं को अपने बच्चों एवं परिवार के प्रति अपनी पहली जिम्मेदारी समझनी चाहिए क्योंकि मां ही बच्चे की पहली गुरू होती है। ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ. गौरव संजय ने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी अतिथियों एवं महानुभावों का आभार प्रकट किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का आयोजन योगेश अग्रवाल के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान शर्मिला भरतरी, मधु जैन, पूर्णिमा बिष्ट, शीतल हरदेव सिंह, आचार्य डॉ. अन्नपूर्णा, डॉ. सविता मोहन, डॉली डबराल, स्नेहा भारद्वाज, संध्या बिष्ट, डाॅ. मीनू वैश, डाॅ. मान्सी वैश, अनीता सक्सेना,सुनीता सिंह एवं रेशमा शाह को सशक्त नारी सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया।