आत्मघाती विचारों और प्रवृत्ति से बचाव की जागरूकता के लिए कार्यशाला का आयोजन।

Organization of workshop for awareness on prevention of suicidal thoughts and tendencies.

 

देहरादून.:विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी ने आत्मघाती विचारों और प्रवृत्ति से बचाव की जागरूकता के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डॉ. पवन शर्मा (द साइकेडेलिक) ने रोचक और प्रभावी रूप से आत्मघाती विचारों के बारे में जानकारी दी और इन विचारों से बचने के कई उपाय बताये। डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि शिक्षकों, मनोवैज्ञानिकों, अभिभावकों और नागरिकों को यह सोचना होगा कि नौजवानों का एक बड़ा वर्ग निराशा व नाकामयाबी की स्तिथियों मे अपना जीवन खत्म क्यों कर रहे हैं। पिछले साल लोकसभा में बताया गया था कि देश में 2019 से 2021 के बीच 35,000 से ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की। कहा जाता है कि भारत में दुनियाँ भर में सबसे अधिक युवा आत्महत्या करते हैं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के अनुसार 2020 में हर 42 मिनट में एक छात्र ने अपनी जान दी। ये आंकड़ा सच में डराता है। वहीं राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में, जब कोविड की लहर ने व्यापरियों को तबाह कर दिया था, तब 11,716 व्यापरियों ने आत्महत्या की थी, जो 2019 की तुलना में 29 फीसदी अधिक थी, जब 9,052 व्यापरियों ने खुदकुशी की थी। इसके अलावा आत्महत्याओं का कारण पुरानी गम्भीर बीमारी और खराब व बिगड़े रिश्तों का होना है।
डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि हमें सफलताओं के लिए प्रयास करते हुए असफ़लता की संभावना के लिए भी तैयार रहने की जरूरत है जिससे ऐसी नकारात्मक परिस्तिथियों से बाहर निकल कर एक स्वस्थ मानसिकता के साथ आगे के जीवन को जीने में आसानी हो और ऐसे में परिवार के सदस्यों के साथ दोस्तों, शिक्षकों और पेशेवर मनोवैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। आपको बताते चलें कि फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए निशुल्क परामर्श और थेरेपी की सुविधा उपलब्ध कराती है।