Crowd of devotees gathered in Nagnath Swami temple on the festival of Janmashtami.
उत्तर भारत के सुप्रसिद्व विष्णु भगवान के मंदिरों मे सुमार नागनाथ मंदिर में कृष्ण जन्माष्टी का पर्व हर्षोउल्लस के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर में दर्शनों के लिए भक्तों तांता लगा रहा। इस दौरान देवस्थान गांव से मॉ धारी देवी की डोली ने भी नागनाथ स्वामी से भेंट की।
जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित किये जाने यह मेले उपर गढ़वाल के प्रख्यात मेले में सामिल नागनाथ का मेला कई सदियों से चलता आ रहा है। परम्परागत तरीके से मनाये जाने वाले इस मेले को पूर्व में तीन दिन आयोजित किया जाता था। इस मेले में गढ़वाल क्षेत्र के अनेक जनपदों समेत कुमांउ क्षेत्र के बागेश्वर व अल्मोड़ा से भी अनेक लोग सामिल होते थे। बीेते दसकों में यह मेला विवाहित महिलाओं व उनके सगे संम्बधियों के मिलन का एक मात्र केन्द्र होता था। लेकिन समय के साथ साथ इस मेले का बाजारीकरण हो गया। यहां पंहुचने वाले भक्त दर्शन प्रसाद प्राप्तकर पोखरी बाजार खरीददारी के लिए पंहुचते है।
नागनाथ स्वामी मंदिर का पौराणिक महत्व भी कुछ कम नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण जब इस स्थान से बद्रीनाथ धाम घंटाकरण राक्षस से मिलने जा रहे थे तब उन्होंने यहां
शेषनाग को यहां दर्शन दिये थे और तब से इस स्थान पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती रही है। कालातंर में इस स्थान पर मंदिर बनाया गया। जिसका रखरखाव पास के ग्रामीण करते आ रहे है।