विवाह पूर्व परामर्श की उपयोगिता पर किया गया मंथन देवभूमि विकास संस्थान की अनूठी पहल

A unique initiative of Devbhoomi Vikas Sansthan to brainstorm on the usefulness of pre-marriage counselling.

वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने की दिशा में प्री-मैरिज परामर्श आवश्यक कदम: त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून: वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने वाले युवाओं को मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से तैयार करने के उद्देश्य एवं युवाओं को प्री-विवाह परामर्श की आवश्यकता पर मंथन सत्र 27 जनवरी को स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जॉली ग्रांट में आयोजित किया जाएगा। इस सत्र में विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्री और कानूनी विशेषज्ञ भाग लेंगे और विवाह से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा करेंगे। इस मंथन में जो पहलू आयेंगे उन पर विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी जिसका उपयोग परामर्श के विभिन्न सत्रों में किया जाएगा ।
इस ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र की तैयारी के संदर्भ में हरिद्वार लोकसभा सांसद एवं देवभूमि विकास संस्थान के संरक्षक  त्रिवेंद्र सिंह रावत के शिविर कार्यालय पर एक विशेष बैठक आयोजित की गई जिसमें वैवाहिक समस्याओं के मूल कारण जानने और उनके समाधान के पहलुओं पर विमर्श हुआ । बैठक की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार लोकसभा सांसद  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समाज में बढ़ रही तलाक की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि युवाओं को खुशहाल और सफल वैवाहिक जीवन व्यतीत करने के लिए विवाह पूर्व परामर्श की आवश्यकता है जिससे उनका जीवन आनंद पूर्ण एवं खुशहाल हो सके और इस दिशा में देव भूमि विकास संस्थान निशुल्क परामर्श कार्यक्रम संचालित करेगा । सांसद ने कहा कि आज के युवा अपने प्रोफेशन को लेकर के काफी गंभीर हैं ऐसे में पारिवारिक जिम्मेदारियां किस प्रकार बेहतर तालमेल के साथ निभाई जाए इस विषय को लेकर मनोवैज्ञानिक युवाओं से संवाद स्थापित करेंगे और जो युवा वैवाहिक जीवन में बंधने जा रहे हैं उन्हें खुशहाल और सफल जीवन व्यतीत करने के विषय में आवश्यक परामर्श दिया जाएगा। बैठक में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य, सोशल मीडिया का प्रभाव, बदलती सामाजिक और लैंगिक भूमिकाएं, और अवास्तविक अपेक्षाएं वैवाहिक जीवन में तनाव का कारण भी बनती हैं इसको गंभीरता से समझने की जरूरत है l उन्होंने संचार कौशल और विवाद समाधान की तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डालते कहा कि कैसे खुला संवाद और एक-दूसरे की भावनाओं को समझ कर वैवाहिक जीवन को सफल बना सकते हैं। वरिष्ठ परामर्शदात्री रामेन्द्री मंद्रवाल ने कहा कि इस प्रकार की पहल को सफल बनाने के लिए एनजीओ, धार्मिक संस्थानों, शिक्षण संस्थानों और मीडिया के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है और वित्तीय तनाव तथा कानूनी अधिकारों की जानकारी की कमी भी वैवाहिक विवादों का बड़ा कारण माना गया उन्होंने वित्तीय पारदर्शिता और प्री-नपचुअल समझौतों के महत्व पर चर्चा की । एडवोकेट  आर एस राघव ने इस प्रयास को वैवाहिक जोड़ों के बीच बेहतर संवाद और समझ विकसित करने की अनूठी पहल करार दिया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और पारिवारिक मुद्दे ससुराल संबंधों और पारिवारिक अपेक्षाओं को लेकर उत्पन्न होने वाले तनावों को कम करने के लिए रणनीतियां विकसित करने की आवश्यकता है। प्री वेडिंग परामर्श सत्र के विषय वस्तु को प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ राजेश भट्ट ने कहा कि परामर्श सत्रों में मानसिक स्वास्थ्य, जीवन लक्ष्य, यौन अंतरंगता, और सांस्कृतिक संवेदनशीलता जैसे विषय शामिल किए जाने चाहिए। साथ ही, इन सत्रों को ऑनलाइन, व्यक्तिगत और सामूहिक प्रारूप में सुलभ और किफायती बनाने की योजना बनाई जाने की आवश्यकता है। बैठक में प्रोफेसर एच सी पुरोहित ने उम्मीद जताई गई कि इस पहल से वैवाहिक जीवन में स्थिरता और खुशहाली बढ़ेग। प्रमोद रावत ने कहा कि येसे प्रयास कानूनी विवाद और तलाक के मामलों में कमी लाने में सहायक होंगे । एडवोकेट  रवि नेगी ने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है जो समाज में विवाह से जुड़े मुद्दों को हल करने और स्वस्थ दांपत्य जीवन को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
बैठक का संचालन शिक्षाविद प्रो दीपक भट्ट ने किया और धन्यवाद ज्ञापन  सत्येंद्र नेगी ने किया ।