मशरूम उत्पादन के लिए किसानों को दी जा रही 80 प्रतिशत सब्सिडी।

80 percent subsidy being given to farmers for mushroom production.

चमोली: किसानों के लिए मुख्यमंत्री धामी का प्रयास ला रहा रंग।

काश्तकारों को फायदे का सौदा साबित हो रही मशरूम की खेती।

 

किसानों की आय बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी का प्रयास रंग लाने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मसरूम की खेती छोटे किसानों के लिए सोना साबित हो रही है। विगत दिनों ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के विजिट के दौरान मुख्यमंत्री ने चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी सहित तमाम रेखीय विभागों के अधिकारियों को ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार के मौके बढ़ाने के लिए कृषि और बागवानी के क्षेत्र में मसरूम उत्पादन जैसे अच्छे प्रोजेक्ट पर काम करने के निर्देश दिए थे। ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो और लोगों को स्वरोजगार मिल सके। प्रशासन द्वारा इस दिशा में काम करने पर आज मशरूम की खेती काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रही है।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में कर्णप्रयाग-भराडीसैंण क्षेत्र के गांवों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मशरूम की खेती आरंभ की गई। जिला योजना के तहत कृषि और उद्यान विभाग के माध्यम से आदिबद्री व खेती गांव में मसरुम टनल निर्मित करने के साथ ही कुछ किसानों को योजना से जोड़ा गया। किसानों द्वारा मसरूम हार्वेस्टिंग की गई। जिसकी बाजार दर 150 रुपए प्रति किलो मिल रही है। जिला अधिकारी ने बताया कि मशरूम टनल बनाने से जंगली जानवर जो फसल को नुकसान पहुंचा रहे थे, उस पर प्रभावी रोक लगी। बताया कि आदिबद्री, मालसी, खेती, थापली आदि गांव क्षेत्रों से मशरूम टनल की मांग लगातार आ रही है।

जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण क्षेत्र में काश्तकारों की आय बढ़ाने के आशय से कृषि एवं बागवानी को बढावा दिया जा रहा है। मशरूम उत्पादन के सकारात्मक परिणाम मिल रहे है और जल्द ही पूरे क्षेत्र में अधिक से अधिक लोग इसको अपनाएंगे। कहा कि आगामी महीनों में जब मैदानी क्षेत्रों में तापमान बढेगा, तब यहां की जलवायु में मशरुम का बेहतर उत्पादन होगा और किसानों को इसका अच्छा फायदा मिलेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि अगले चरण में स्वयं सहायता समूहों को भी इससे जोडा जाएगा और लोगों को प्रशिक्षण देकर प्रयास किया जाएगा कि अधिक से अधिक लोग मसरूम उत्पादन से जुड़कर स्वरोजगार को अपनाएं।

मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने जिले में मशरूम मॉडल के बारे जानकारी देते हुए बताया कि कर्णप्रयाग से लेकर भराडीसैंण तक के गांवों को मशरूम बेल्ट के रूप में तैयार किया जा रहा है। नवाचार के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अभी खेती गांव में शत प्रतिशत अनुदान पर 08 मशरूम टनल बनाए गए है। आदिबद्री में भी 08 मशरूम टनल बनाए जा रहे है। मशरूम टनल की एक हट में 700 कम्पोस्ट बैग रखे गए है। एक बैग में 10 किलो कम्पोस्ट में 04 किलो मशरूम उत्पादन हो रहा है। इस प्रकार तीन महीने में 700 कम्पोस्ट बैग में 2800 किलो मशरूम उत्पादन होगा। साल में तीन बार मशरूम का उत्पादन होता है। इस प्रकार एक साल में एक हट से 8400 किलो मशरूम उत्पादन होगा। एक किलो मशरूम की बाजार दर 150 रुपये है। इस प्रकार एक हट से 12.60 लाख रुपये के मसरूम उत्पादन हो होगा। इस वेल्ट में 16 मसरूम टनल बनाए जा रहे है। इन सभी मसरूम टनल से साल में 2.04 करोड़ का मसरूम उत्पादन होगा। एक मशरूम टनल का साइज 16×32 है, जो कि एक चौथाई नाली जमीन पर हो रहा है। मशरूम टनल बनाने से जंगली जानवरों से भी नुकसान नही होता है। जिलाधिकारी ने रीप को निर्देशित किया है कि काश्तकारों द्वारा उत्पादित मशरूम का उचित माध्यम से विपणन भी सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एनआरएलम समूहों को भी इससे जोड़कर इस पूरे क्षेत्र को मसरूम रूट के रूप में विकसित करने की योजना है और इस क्षेत्र को मसरूम इंडस्ट्री बनाने का प्रयास किया जा रहा है।